राष्ट्रीय आय (National Income) |
राष्ट्रीय आय (National Income)राष्ट्रीय आय से तात्पर्य किसी देश की अर्थव्यवस्था द्वारा पूरे वर्ष के दौरान उत्पादित अन्तिम वस्तुओं व सेवाओं के शुद्ध मूल्य के योग से होता है, इसमें विदेशों से अर्जित शुद्ध आय भी शामिल होती है। मार्शल के अनुसार-’’किसी देश की श्रम एवं पूंजी उस देश के प्राकृतिक संसाधनों के साथ मिलकर प्रतिवर्ष कुछ भौतिक एवं अभौतिक वस्तुओं का उत्पादन करता है जिसमें सेवाएँ भी शामिल होती है इसी के बाजार मूल्य को राष्ट्रीय आय कहते हैं जिसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय भी शामिल होती हैं।’’ A.C. पीगू के अनुसार-’’राष्ट्रीय आय किसी समुदाय के आय का वह हिस्सा होता है जिसमें विदेशों से प्राप्त आय सम्मिलित रहती हैं और जिसे मुद्रा के रुप में लाया जा सकता है।’’ प्रो0 साइमन कुजनेट्स के अनुसार-’’ राष्ट्रीय आय का तात्पर्य किसी एक वर्ष के दौरान देश में उत्पादित समस्त अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं में बाजार मूल्य से होता है जिसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय सम्मिलित रहती है। राष्ट्रीय आय के अध्ययन के कारण:- किसी भी देश में राष्ट्रीय आय का विश्लेषण अथवा राष्ट्रीय आय का लेखांकन कई कारणों से महत्वपूर्ण होता है-
राष्ट्रीय आय की अवधारणा (Concepts of National Income)राष्ट्रीय आय की माप-करने के लिए अनेक धारणाओं का प्रयोग किया जाता हैं जिसमें से महत्वपूर्ण अवधारणाएं निम्नलिखित हैं- सकल राष्ट्रीय उत्पादन (G.N.P) :- किसी देश में एक वर्ष के भीतर उस देश के नागरिकों द्वारा उत्पादित समस्त अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं में मौद्रिक मूल्य जिसमें विदेशों से मिलने वाली शुद्ध आय भी शामिल हो, सकल राष्ट्रीय उत्पादन कहलाती हैं। GNP = C+I +G+ (X-M) यहाँ C= उपभोक्ता वस्तुओं एवं सेवाओं को I= घरेलू निवेश G= सरकारी व्यय (X-M) = शुद्ध विदेशी आय के निर्यातों एवं आयातों के अन्तर को शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product) (NNP) :- इसकी गणना के लिए सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से मूल्य ह्नास (घिसावट व्यय) को घटा देते हैं।NNP = GNP- मूल्य ह्नास GNP = NNP मूल्य ह्नास सकल घरेलू उत्पादन (Gross Domestic Product -GDP) :-रू.इसके अन्तर्गत किसी देश की सीमा के भीतर एक वर्ष के दौरान उत्पादित समस्त वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार या मौद्रिक मूल्य को शामिल किया जाता है। GDP = GNP – विदेशो से प्राप्त शुद्ध आय GNP = GDP विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय GDP के अन्तर्गत मजदूरी और वेतन लगान एवं किराया व्याज लाभ एवं लाभांस अवितरित कम्पनी काम, मिश्रित आय इत्यादि को शामिल किया जाता है। शुद्ध घरेलू उत्पादन(Net Domestic Product – NDP) :-.सकल घरेलू उत्पादन में से मूल्य ह्नास (घिसावट व्यय) को घटा देते हैं। NDP = GDP- मूल्य ह्नास GDP = NDP मूल्य ह्नास निजी आय (Personal Income) :- ;च्मतेवदंस प्दबवउमद्धरू. निजी आय के अंतर्गत किसी व्यक्ति को विभिन्न स्रोतों से मिलने वाली समस्त आय को सम्मिलित किया जाता है। वैयक्तिक आय को ज्ञात करने के लिए राष्ट्रीय आय (साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद) में से निगम करों तथा सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों के लिए किए गए भुगतानों को घटाते हैं तथा सरकारी हस्तान्तरण भुगतानों, व्यापारिक हस्तान्तरण भुगतानों तथा सरकार से प्राप्त शुद्ध ब्याज को जोड़ देते हैं। व्यय योग्य आय ( Disposable Personal Income) :- करों का भुगतान करने के बाद शेष बची हुयी आय व्यय योग्य आय कहलाती है। और इसे Yd द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। व्यय योग्य आय Yd = PI- प्रत्यक्ष कर PI = Yd प्रत्यक्ष कर प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income -P.C.I.) :-.प्रति व्यक्ति आय किसी वर्ष देश की औसत आय होती है। इसकी गणना के लिये देश की राष्ट्रीय आय में उस वर्ष की जनसंख्या से भाग दे देते हैंI
साधन लागत और बाजार कीमत पर GDP की गणना :- किसी वस्तु के उत्पादन में विभिन्न साधनों द्वारा किए गए मूल्यवर्धक के योग को साधन लागत कहते हैं। अर्थात वस्तु को उत्पादित करने की वास्तविक लागत साधन लागत कहलाती है। परन्तु साधन लागतों में कर को जोड़ लें तथा अनुदान को घटा दे तो बाजार कीमत प्राप्त होती है। GDP mp = GDPpc करारोपण – अनुदान GDP fc = GDPmp – करारोपण अनुदान राष्ट्रीय आय गणना की विधियाँ :— राष्ट्रीय आय आंकलन के लिये मुख्य रूप से तीन विधियों का प्रयोग किया जाता है-
उत्पाद विधि :-
Total & GNP आय विधि :-
Total & GNI व्यय विधि :-
Total & GNE गणना विधि में-GNP = GNI = GNE उत्पाद विधि — उत्पाद विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना करते समय 1 वर्ष के भीतर विभिन्न क्षेत्रों जैसे प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्र में उत्पादित समस्त वस्तुओं के बाजार मूल्य की गणना करते हैं और इसे ळछच् द्वारा प्रदर्शित करते हैं। यहाँ प्राथमिक क्षेत्र में कृषि वानिकी, मत्स्य पालन, खनन को शामिल किया जाता है। द्वितीयक क्षेत्र में निर्माण एवं विनिर्माण में बिजली गैस एवं जलापूर्ति को शामिल किया जाता है। जबकि तृतीयक क्षेत्र के अन्तर्गत परिवहन संचार सेवा क्षेत्र इत्यादि को शामिल किया जाता है। आय विधि — आय विधि के अन्तर्गत राष्ट्रीय आय की गणना करते समय किसी दिये गये वर्ष में मजदूरी एवं वेतन लगान एवं किराया ब्याज, लाभ, लाभांश एवं रायल्टी के समग्र योग को ज्ञात कर लिया जाता है। जिसमें समग्र योग आय को सकल राष्ट्रीय आय (GNI) कहते हैं। व्यय विधि — इसके अन्तर्गत राष्ट्रीय आय की गणना करते समय उपभोग व्यय, निवेश व्यय, सरकारी व्यय तथा विदेशी व्यापार पर किये जाने वाले व्यय के योग को ज्ञात किया जाता है और इसे सकल राष्ट्रीय व्यय (GNE) कहते हैं। राष्ट्रीय आय की गणना में समस्यायें :-1. राष्ट्रीय आय विश्लेषण में सबसे महत्वपूर्ण समस्या दोहरी गणना की होती है जो अन्तिम वस्तुओं एवं मध्यवर्ती वस्तुओं के बीच भेद न कर पाने से होती है। राष्ट्रीय आय विश्लेषण में अवैध आय को अथवा काली कमाई को शामिल नहीं किया जाता है जो किसी देश में बहुत अधिक मात्रा में पायी जाता है। 2. देश की सीमायें — किसी देश की सीमा के अन्तर्गत केवल देश की भौगोलिक सीमा नहीं आती है। घरेलू अथवा आर्थिक सीमा में भौगोलिक क्षेत्र के साथ-साथ मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों को शामिल किया जाता है।
भारत में राष्ट्रीय आय:- भारत में राष्ट्रीय आय का अनुमान सर्वप्रथम वर्ष 1868 ई0 में दादाभाई नौरोजी ने लगाया था और इनके अनुसार तत्कालीन भारत में प्रति व्यक्ति आय 20 रू0 वार्षिक थी।
राष्ट्रीय आय विश्लेषण:-वर्ष 2014-15 की आर्थिक समीक्षा में कई परिवर्तन किये गये। जिसमें कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन निम्नलिखित हैं-
GVA = CE+OS / MI+CFC+dj & – अनुदान जहाँ CE- नियुक्त लोगों को मिलने वाली क्षतिपूर्ति।
वृद्धिदर के रूप में-यदि विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धिदर का मूल्यांकन करें तो वर्ष प्राथमिक क्षेत्र में वृद्धि दर
़िद्वतीयक क्षेत्र में वृद्धि दर
भारत के तृतीयक क्षेत्र में
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