कोशिका श्वसन Cellular Respiration |
कोशिकीय आॅक्सीकरण की प्रक्रिया को कोशिकीय श्वसन कहते हैं। कोशिका श्वसन इसके तीन प्रमुख चरण हैं- (1) ग्लाइकोलासिस :- इसमें ऑक्सीजन का उपयोग नहीं होता वरन् कुछ ऊर्जा अवश्य मुक्त होती है। जीवाणु तथा कुछ जन्तुओं एवं पादपों की कोशिकाएँ इसी विधि से ऊर्जा उत्पादन करती हैं। इसी समय शर्करा का विघटन होता है। इसे अनाक्सी श्वसन कहते हैं जो आक्सीजन का प्रथम चरण है जो ग्लाइकोलाइसिस कहलाता है।(2) क्रैब्स चक्र या सिट्रिक अम्ल चक्र :- आठ प्रमुख हाइड्रोजनहरण एवं कार्बोक्सिल हरण अभिक्रियाओं की एक चक्रीय श्रृंखला होती है जिसके द्वारा माइटोकाण्ड्रिया में ऐसटिल सहएन्जाइम A ऐसेटिल अंश के कार्बन परमाणुओं को हाइड्रोजन परमाणुओं से पृथक किया जाता है। कार्बन परमाणु आॅक्सीन से मिलकर कार्बन डाइआॅक्साइड के रूप से मुक्त हो जाते हैं, परन्तु हाइड्रोजन परमाणुओं को विशेष प्रकार के हाइड्रोजन-ग्राही पदार्थ ग्रहण करते हैं। श्रृंखला का वर्णन चूॅकि सर हान्स क्रैब्स ने किया था, अतः क्रैब्स चक्र कहते हैं। चक्र का प्रारम्भ 6 कार्बनीय सिट्रिक अम्ल के संश्लेषण से होता है। इसी लिए इसे सिट्रिक अम्ल चक्र कहते हैं। इसे ट्राई कार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र भी कहते हैं। (3) इलेक्ट्रान परिवहन तंत्र :- ग्लाइकोलाइसिस एवं क्रब्स चक्र की अभिक्रियाओं में कुछ ऊर्जा मुक्त होकर ARP में संग्रहित होती है। इन अभिक्रियाओं का मुख्य उद्देश्य ईधन पदार्थों से हाइड्रोजन परमाणुओं को पृथक करके अधिकांश हाइड्रोजन परमाणुओं को NAD’ में और कुछ को FAD में स्थानान्तरित करने को होता है। इस प्रकार NADH’H’ एवं FADH2 के हाइड्रोजन परमाणुओं के इलेक्ट्राॅन्स में बहुत सी विभव ऊर्जा संग्रहित होती है। NADH+H*4एवं FADH2 के अणु अपने हाइड्रोजन परमाणुओं को इन्हीं श्रृंखलाओं को सौंपकर वापस NAD+और FAD में उपचयित हो जाते हैं ताकि ये ग्लाइकोलाइसिस एवं क्रैब्स चक्र में फिर से भाग ले सकें। इन श्रृंखलाओं मे पहले हाइड्रोजन परमाणुओं का इनके आयनों (इलेक्ट्राॅन्स एवं प्रोटान्स) में विखण्डन होता है और फिर केवल इलेक्ट्रान्स को कुछ इलेक्ट्रानग्राही प्रोटीन्स बार-बारी से ग्रहण करके दूसरी को सौंपती है। इसीलिए इन श्रृंखलाओं को इलेक्ट्रान परिवहन तंत्र कहते हैं। नोट :-
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